Not known Facts About hindi story

Biju Regardless of acquiring not attended college or universities, dedicated his daily life to Discovering approximately he can regarding the trade that his …

"गुड़-गुड़ दी एनेक्सी दी वेध्याना दी मूंग दी दाल ऑफ़ दी पाकिस्तान एंड हिंदुस्तान ऑफ़ दी दुर्र फिट्टे मुंह......!"

''एक राजा निरबंसिया थे”—माँ कहानी सुनाया करती थीं। उनके आसपास ही चार-पाँच बच्चे अपनी मुठ्ठियों में फूल दबाए कहानी समाप्त होने पर गौरों पर चढ़ाने के लिए उत्सुक-से बैठ जाते थे। आटे का सुंदर-सा चौक पुरा होता, उसी चौक पर मिट्टी की छः ग़ौरें रखी जातीं, जिनमें कमलेश्वर

नैतिक शिक्षा – दूसरों की भलाई करने से ख़ुशी मिलती है।

एक बार की बात है, एक बाघ पिंजरे में कैद हो गया। उसने खुद को बहार करने की कोशिश की लेकिन हर बार नाकाम रहा। उसने देखा कि एक ब्राह्मण रास्ता पार कर रहा है। बाघ ने ब्राह्मण से उसकी मदद करने के लिए कहा लेकिन आदमी ने बाघ के खा जाने के डर से मदद करने से मना कर दिया। बाघ मदद के लिए बहुत रोया और उसे न खाने का वादा किया। अंत में, ब्राह्मण ने उसे पिंजरे से मुक्त करने का फैसला किया।

(एक) खजूर के वृक्षों की छोटी-सी छाया उस कड़ाके की धूप में मानो सिकुड़ कर अपने-आपमें, या पेड़ के पैरों तले, छिपी जा रही है। अपनी उत्तप्त साँस से छटपटाते हुए वातावरण से दो-चार केना के फूलों की आभा एक तरलता, एक चिकनेपन का भ्रम उत्पन्न कर रही है, यद्यपि अज्ञेय

मोरल – एक साथ मिलकर रहने से बड़ी से बड़ी चुनौती दूर हो जाती है।

(एक) “ताऊजी, हमें लेलगाड़ी (रेलगाड़ी) ला दोगे?” कहता हुआ एक पंचवर्षीय बालक बाबू रामजीदास की ओर दौड़ा। बाबू साहब ने दोंनो बाँहें फैलाकर कहा—“हाँ बेटा, ला देंगे।” उनके इतना कहते-कहते बालक उनके निकट आ गया। उन्होंने बालक को गोद में उठा लिया और उसका मुख विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक'

कहानी गद्य की सर्वाधिक लोकप्रिय विधा है। यह मानव-सभ्यता के आरंभ से ही किसी न किसी रूप में विद्यमान रही है। भारतीय परंपरा में इसका मूल ‘कथा’ में है। आधुनिक संदर्भों में इसका अभिप्राय अँग्रेज़ी के ‘शॉर्ट स्टोरी मूवमेंट’ से प्रभावित कहानी-परंपरा से है। इसका मुख्य गुण यथार्थवादी दृष्टिकोण है। हिंदी में कहानी का आरंभ अनूदित कहानियों से हुआ, फिर ‘सरस्वती’ पत्रिका के प्रकाशन के साथ मौलिक कहानियों का प्रसार बढ़ा। हिंदी कहानी के विकास में प्रेमचंद का अप्रतिम योगदान माना जाता है। प्रेमचंदोत्तर युग में जैनेंद्र, यशपाल सरीखे कहानीकारों ने नई परंपराओं का विस्तार किया। स्वातंत्र्योत्तर युग में नए वादों, विमर्शों और आंदोलन के साथ हिंदी कहानी और समृद्ध हुई।

उन हिरणियों के पैरों से विशाल को चोट लगी, वह रोने लगा।

उसके पानी से घर में साफ सफाई हुई। रसोई घर में खाना को ढकवा दिया। जिसके कारण मक्खियों को खाना नहीं मिल पाया।

'ठाकुर का कुआं', 'सवा सेर गेहूँ', 'मोटेराम का सत्याग्रह', जैसी प्रेमचंद की अनेक कहानियों में अंतर्भूत मानवीय संवेदना तथा जाति व्यवस्था के प्रति उनका दृष्टिकोण इस कहानी को कालजयी और आधुनिक बनाता है.

शांति ने ऊब कर काग़ज़ के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और उठकर अनमनी-सी कमरे में घूमने लगी। उसका मन स्वस्थ नहीं था, click here लिखते-लिखते उसका ध्यान बँट जाता था। केवल चार पंक्तियाँ वह लिखना चाहती थी; पर वह जो कुछ लिखना चाहती थी, उससे लिखा न जाता था। भावावेश में कुछ-का-कुछ उपेन्द्रनाथ अश्क

" किरन अभी भोरी थी। दुनिया में जिसे भोरी कहते हैं, वैसी भोरी नहीं। उसे वन राधिका रमण प्रसाद सिंह

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